Question No 455 – भारत में राज्य-स्तरीय शासन में पारदर्शिता और भूमिका पर चर्चा करें | भस्ताचार पर प्रभावी अंकुश लगाने में लोकायुक्त के सामने आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेष्ण करें और इस संस्था को मजबूत बनाने के उपाय सुझाएँ |
Question No 455 – भारत में राज्य-स्तरीय शासन में पारदर्शिता और भूमिका पर चर्चा करें | भस्ताचार पर प्रभावी अंकुश लगाने में लोकायुक्त के सामने आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेष्ण करें और इस संस्था को मजबूत बनाने के उपाय सुझाएँ |
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में संघ के लिए लोकपाल और राज्यों के लिए लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान किया गया | ये संस्थाएं बिना किसी संवैधानिक दर्जे के वैधानिक निकाय हैं | वे एक लोकपाल का कार्य करते हैं और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारीयों के खिलाफ भर्ष्टाचार के आरोपों और संबंधित मामलों की जाचं करते हैं|
लोकायुक्त की विशेषताए निम्नलिखित हैं-
- संरचनात्मक भिन्ताएँ- लोकायुक्त की संरचना सभी राज्यों में एक जैसी नहीं हैं
- नियुक्ति- लोकायुक्त और उपलोकायुक्त की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा कि जाती हैं, राज्यपाल लोकायुक्त के नियुक्ति समय राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता से सलाह लेता हैं|
- योग्यता- कुछ राज्यों में लोकायुक्त के लिए न्यायिक योग्यता निर्धारित हैं | लेकिन बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों में कोइ विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं हैं |
- कार्यकाल- लोकायुक्त के इए निर्धारित कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, लेकिन पुननियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं |
- जांच- अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त अनुचित प्रशासनिक करवाई के खिलाफ नागरिक से प्राप्त शिकायत के आधार पर या स्वप्रेरण से जाँच शुर कर सकता हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों में उसे अपनी पहल पर जाँच शुरू करने का अधिकार नहीं हैं |
लोकायुक्त के रूप में किसे नियुक्त किया जाता हैं ?- लोकायुक्त आमतौर पर उच्च न्यायलय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वौच न्यायलय का पूर्व न्यायाधीश होता हैं और उसका कार्यकाल निश्चित होता हैं |
लोकायुक्त का चयन- मुख्यमंत्री उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश, विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद् के सभापति, विधानसभा में विपक्ष के नेता और विधान परिषद् में विपक्ष के नेता से परामर्श के बाद लोकायुक्त के रूप में किसी व्यक्ति का चयन करते हैं, इसके बाद नियुक्ति राज्यपाल द्वारा कि जाती हैं | एक बार नियुक्त होने के बाद, लोकायुक्त को सरकार द्वारा बर्खास्त या स्थान्तरित नहीं किया जा सकता हैं और उसे केवल विधानसभ द्वारा महाभियोक प्रस्ताब पारित करके ही हटाया जा सकता हैं
लोकायुक्त के सामने आने वाले चुनौतियों- इनके सामने बहुत सारे चुनौती हैं यह सभी राज्यों में अपने मन से जाचं नहीं कर सकता हैं, जाँच के लिए पहले उस राज्य से अनुमति लेना होता हैं, कभी-कभी इस संस्था में अच्छे लोकायुक्त का चयन नहीं हो पाता हैं, कभी – कभी वे लोकायुक्त नियुक्ति हो जाते हैं जो राजनितिक पार्टी से ज़ुरा रहता हैं, जिसके कारन सही से लोकायुक्त निर्णय नहीं ले पता हैं
इस संस्था को मजबूत बनाने का उपाय- इस संस्था में वही लोकायुक्त नियुक्त हो जो किसी भी राजनितिक पार्टी से ज़ुरा नहीं हो, वह निष्पक्ष हो तभी वह सही निर्णय ले पाएगा