ग्रहण क्या है 2024 | सूर्यग्रहण कितने तरह के होता है | Grahan Kya Hai | What is Grahan

हेल्लों दोस्तों नमस्कार, आज हम आप को Grahan Kya Hai के बारें में पूरी जानकारी देने वाले हैं, इसलिए आप इसे पूरा जरुर पढ़े ताकि आप के सभी प्रश्नों का उत्तर यहाँ पर मिल जाए, तो चलिए शुरू करते हैं-

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ग्रहण क्या है (Grahan Kya Hai) 2024

आज में इस पोस्ट में बतायेंगे की ग्रहण कितने है ?  यह ग्रहण कहते किसे है ? एंड चन्द्र ग्रहणक्या है ? यह कब लगता है?  सूर्यग्रहण किसे कहते है और यह कब लगता है ? और इनकी पौराणिक कथा क्या है ? आप सभी जानते है की सूर्य प्रकाश का श्रोत है | ब्रह्माण्ड में जितने भी  गृह है सबका अपना उपग्रह है |

ग्रह के चारो ओर जो चक्कर लगाते है जैसे की पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा  है | और पृथ्वी के चारो ओर चन्द्रमा चक्कर ;लगाता है |

जब किसी ग्रह या उपग्रह के बजह से कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश नहीं आ पाता है | और सूर्य का प्रकाश उस ग्रह या उपग्रह तक नहीं पहुँच पाता है |

उसे ही ग्रहण कहते है | तो चलिए आगे जानते है | ग्रहण के बारे में –

ग्रहण क्या है (what is eclipse ) ? 2024

वैज्ञानिक तौर पर ग्रहण की ये घटना मात्र खगोलीय घटना है | जिसके अनुसार जब एक खगोलीय पिंड पर दुसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है | तब यह घटना ग्रहण कहलाता है | 

  • ग्रहण कितने प्रकार के होते है ? 

        ग्रहण 2 प्रकार के होते है |

  1. चन्द्र ग्रहण (lunar eclipse )
  2. सूर्य ग्रहण (solar eclipse )
  • सूर्य ग्रहण क्या है (what is eclipse ) ? 

   यह वह खगोलीय घटना है | जिसमे पृथ्वी और सूर्य के बिच में चन्द्रमा आ जाती है | तो चन्द्रमा के कारन सूर्य ढलने लगता है | यानि चन्द्रमा के पीछे सूर्य  छुप जाता है |

जिससे सूर्य की छाया पृथ्वी तक थोरा या पुर्णतः नहीं आ पाता है जिससे सूर्य की रौशनी पृथ्वी तक ठीक से नहीं आ पाती  है

ब्रह्माण्ड की ये खगोलीय घटना सूर्य ग्रहण कहलाता है | 

सूर्य  ग्रहण कब लगता है ? 

 सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन ही पड़ता है | क्योकि सूर्य , चन्द्रमा , और पृथ्वी के एक सिध में आने की स्थिति केवल अमावस्या के दिन ही होता है |

यही कारन है की ग्रहण अमावस्या के दिन ही लगता है |

चन्द्रमा अपने अक्ष पर 5 डिग्री झुका होता है | इस झुकाव के कारन चन्द्रमा पृथ्वी के परिक्रमा पथ से कभी ऊपर कभी निचे होता रहता है |

यह कारन है की  सूर्य ग्रहण की यह घटना हर अमावस्या के दिन नहीं होता है | यह केवल कभी कभी ऐसा होता है की ये तीनो एक सीध में आ जाते है |

और जब ऐसा होता है तभी अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है |

  • सूर्यग्रहण कितने तरह के होता है ? 

सूर्यग्रहण 3 तरह के होते है  |

  1. पूर्ण सूर्य ग्रहण (total solar Eclipse )
  2. आंशिक सूर्य ग्रहण (partial solar eclipse )
  3. वलयाकार सूर्य ग्रहण (annural solar eclipse ) 
  • पूर्ण सूर्य ग्रहण (total solar eclipse )

जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी पास होते हुए पृथ्वी और सूर्य के बिच में आ जाता   है तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है |और चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है |

और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाटा है | और पृथ्वी पर अन्धकार जैसी स्थिति उत्तपन हो जाती है |

जब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता यह पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है | grahan-kya-hai

आंशिक सूर्य ग्रहण ( partial solar eclipse)-

जब चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बिच में इस प्रकार आये की सूर्य कसा कुछ ही भाग प्रिथ्वोई से दिखाई नहीं देती है अर्थात

चन्द्रमा सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पति है |

इससे सूर्य का कुछ भाग अप्रभावित और कुछ भाग ग्रहण प्रभावित होते है |

तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है |grahan-kya-hai

व्लायाकार सूर्य ( annural solar eclipse) ग्रहण क्या है ?

 चन्द्रमा सूर्य को इस तरह से ढँक देती है की सूर्य का केवल मध्य भाग ही छापा क्षेत्र में आता है |अर्थात जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए |

पृथ्वी और सूर्य के बिच में आ जाता है |यानि पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढंका दिखाई न दे बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारन

अंगूठी या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है अंगूठी आकार में बने सूर्य ग्रहण को ही वलयाकार

सूर्य ग्रहण कहते है |

  • चन्द्र ग्रहण क्या है ( what is lunar Eclipse ) ?

यह खगोलीय घटना तब होती है | जब चन्द्रमा और पृथ्वी के बिच ये सूर्य आ जाती है | और सूर्य की पूरी रौशनी चन्द्रमा पर नहीं पड़ती तो चंद्रग्रहण हो जाती है

चंद्रग्रहण अधिकांस पूर्णिमा के दिन होता है |grahan-kya-hai

जब चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाते – लगाते पृथ्वी के ठीक पीछे आ जाता है | क्योकि पृथ्वी चन्द्रमा के सामने होता है | जिसकी वजह से सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा तक नहीं पहुँच पता है |

जिसके कारन हमें चन्द्रमा नहीं दिखाई पड़ती है |

जब सूर्य , चन्द्रमा , पृथ्वी एक सरल रेखा में होती है तब वह स्थिति चन्द्र ग्रहण कहलाता है |

  • चन्द्र ग्रहण (lunar eclipse ) कब लगता है ? grahan-kya-hai

पृथ्वी के चारो ओर चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा की तुलना की तुलना में थोरी अंडाकार है |

इसलिए ग्रहण के लिए जरुरी पूर्ण संरेखण हर पूर्णिमा पर नहीं होती है |

.चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा में ही होता .है |इसलिए पूर्णचंद्र ग्रहण कभी कभी दिखाई पड़ता है |

एक वर्ष की अवधि में चन्द्र ग्रहण अधिक से अधिक 3 बार लग सकता है | कम से कम एक बार भी नहीं | आमतौर पर पूरी घटना के लिए 2-3 घंटे लग सकता  है |

जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा एक सिद्ध में आते है | और यह खगोलीय घटना होती है |

जिसे हम चंद्रग्रहण कहते है | 

चन्द्र ग्रहण कितने तरह के होते हैं ?

चंद्रग्रहण 3 तरह के होते है 

  1.  पूर्ण चंद्रग्रहण grahan-kya-hai
  2. आंशिक चंद्रग्रहण grahan-kya-hai
  3. उप्छाया चंद्रग्रहण 
  • पूर्ण चंद्रग्रहण क्या है ?grahan-kya-hai

जब पृथ्वी  चंद्रमा को पूरी तरह  ढंक लेता है |grahan-kya-hai अर्थात जिस समय चंद्रमा और सूर्य के बिच पृथ्वी आ जाती है |

तब पूर्ण चंद्रग्रहण का निर्माण होता है |

पूर्ण चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा पूरी तरह से लाल  नज़र आता है |grahan-kya-hai जिसे हम super blood moon भी कहते है |

ऐसे सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनता है पूर्णिमा के दिन ही पूर्ण चंद्रग्रहण होने की पूरी

चन्द्रमा होने की संभावना होती है |

आंशिक चंद्रग्रहण क्या है ? grahan-kya-hai

पूरी पृथ्वी  न आकर कुछ पृथ्वी का छाया सूर्य और चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ता है | पृथ्वी की यह छाया सूर्य और चन्द्रमाँ के कुछ खंड पर ही पड़ता है |

इसलिए इसे आंशिक चन्द्र ग्रहण कहा जाता है | इस चंद्रग्रहण की अवधि कुछ घंटो की ही होती है |

उपछाया चन्द्र ग्रहण क्या है ? grahan-kya-hai

सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी एक सिद्ध में न हो | यानि सूर्य और चन्द्रमा के बिच पृथ्वी घूमते उए आती है | ऐसे स्थिति में चन्द्रमा की छोटी सी सहत पर पृथ्वी

के बिच के इससे से पड़ने वाला छाया  नहीं पड़ती है |grahan-kya-hai

चन्द्रमा के बाकि हिस्से में पृथ्वी के बहरी हिस्से की छाया पड़ती हैं |इसे उपछाया कहते है |

उपछाया चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण के मुकाबले कमजोर होता है | इसे हम साफ़ तौर पर नहीं देख सकते है | इसमें चन्द्रमा के आगे धुल की एक परत सी छा जाती है |

इसमें चन्द्रमा बढ़ता – घटता नहीं दिखाई देता है |

इस चंद्रग्रहण में चन्द्रमाँ का लगभग 65% हिस्सा पृथ्वी ढँक जाता है |

सूर्य ग्रहण(SOLAR Eclipse) और चन्द्र ग्रहण(lonar Eclipse) की पौराणिक कथा क्या है ?

पौराणिक कथा के अनुसार जब समुन्द्र मंथन के समय अमृत की प्राप्ति हुयी | तब दानवो और देवताओं में विवाद हो गया |

तब विष्णु जी ने एकादशी के दिन मोहिनी को भेज अशुरों  के मन को मोह लिया |

और अमृत बांटने का कार्य स्वंय ले लिया | उन्हौने अशुरों को एक तरफ और देवताओं को एक तरफ बैठाया | लेकिन कुछ

अशुरों ने देवताओं के वेश में देवताओं के तरफ बैठ गया और अमृत ग्रहण कर लिया |

ऐसा करते हुए सूर्य और चन्द्र भगवन ने अशुरो को देख लिया | grahan-kya-hai

फिर उन्हौने यह जानकारी भगवान् विष्णु जी को दी भगवान विष्णु जी क्रोध में आकर उन

अपने सुदर्शन चक्र से उन अशुरो का सर धर से अलग कर दिया |

लेकिन उन्हौने तो अमृत पान कर लिया था

जिस बजह से उनकी मृत्यु नहीं हो पाई | लेकिन उनके सर वाला भाग राहू और धर वाला भाग केतु कहलाया |

जिन्हें  ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह कहा जाता है |grahan-kya-hai

इसी कारन राहू और केतु चंद्रमा और सूर्य को अपना सत्रु मानते है |

और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रश लेते है | जिस कारन  चंद्रग्रहण होता है |

अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होता है |

यही थी सूर्य और चन्द्रमा की पौराणिक कथा |grahan-kya-hai

मैंने आपको इस पोस्ट में ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी दी हु |

i hope आपको पसंद आया होगा अगर पसंद आया तो कमेंट और शेयर करना मत भूलियेगा | धन्यवाद !

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